एम.ए. इतिहास (द्वितीय वर्ष)
सत्रीय कार्य
जुलाई 2022- जनवरी 2023 सत्रों के लिए
आपको प्रत्येक पाठयक्रम में एक सत्रीय कार्य करना है। सभी सत्रीय कार्य अनिवार्य हैं। प्रत्येक सत्रीय कार्य पूरे पाठयक्रम पर आधारित है।
सत्रीय कार्य के सभी प्रश्नों के उत्तर आप अपने शब्दों में दें। यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रश्न का उत्तर जितने शब्दों में देने के लिए कहा जाए उसका उत्तर लगभग उतने ही शब्दों में दीजिए |
सत्रीय कार्य पूरा करने के बाद आप इसे अपने अध्ययन केन्द्र के संयोजक के पास जमा करें। सत्रीय कार्य जमा करने के बाद इसकी पावती अवश्य प्राप्त कर लें और इसे अपने पास संभाल कर रख लें। अच्छा हो कि आप अपने सत्रीयकार्यों के उत्तर की फोटोकॉपी भी अपने पास रख लें।
सत्रीयकार्यो के उत्तर जाँचने के बाद जाँचे गये उत्तर अध्ययन केन्द्र से आपको लौटा दिए जाएँगे। आप इसकी माँग अवश्य करें। अध्ययन केन्द्र आपके द्वारा प्राप्त अंक विद्यार्थी पंजीकरण एवं मूल्यांकन प्रभाग, इग्नू, दिल्ली को भेज देगा। इसे आपके ग्रेड कार्ड में शामिल कर लिया जाएगा।
सत्रीय कार्य जमा करना
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सत्रांत परीक्षा देने से पहले आप सत्रींय कार्य अवश्य जमा करा दें। इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप इसे दी गई अवधि के भीतर पूरा कर लें। एम.ए. द्वितीय वर्ष में आपको कुल मिलाकर 4 सत्रीय कार्य करने हैं। लेकिन अगर आपने एमपीएससी-003 और एमपीएससी-004 पाठ्यक्रमों का चयन किया है तो आपको कुल मिलाकर 5 सत्रीय कार्य करने होंगे। सभी सत्रीय कार्यों की जमा करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2023 है लेकिन आपको हम यह सलाह देना चाहते हैं कि आप अपने पाठ्यक्रम के अध्ययन के साथ-साथ इसे बारी बारी से पूरा करते चलें और इसी हिसाब से आप उसे जमा भी करते जाएँ ताकि आपको अंक, परामर्शदाता की टिप्पणी और मूल्याकित सत्रीय कार्य मिलते रहें।सुनियोजित ढंग से योजना बनाकर आप निर्धारित अवधि के भीतर अपने सारे सत्रीय कार्य पूरे कर सकते हैं । सभी सत्रीय कार्यों को जमा करने के लिए अंतिम तारीख का इंतजार नहीं करें क्योकि एक ही साथ सारे सत्रीयकार्यो को हल करना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा।
सत्र | सत्रीय कार्य जमा करने की तारीख | सत्रीय कार्य जमा करने का स्थान |
जुलाई 2022 सत्र के विद्यार्थियों के लिए | 31 मार्च 2023 | अपने अध्ययन कन्द्र के संयोजक के पास |
जनवरी 2023 सत्र के विद्यार्थियों के लिए | 30 सितम्बर 2023 | अपने अध्ययन कन्द्र के संयोजक के पास |
सवालों का जवाब देने से पहले नीचे दिए गए निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए:
सत्रीय कार्य के लिए निर्देश
इन सत्रीय कार्यों में दो तरह से सवाल पूछे जाएँगे:
1) प्रत्येक विवरणात्मक और निबंधात्मक प्रश्नों का उत्तर लगभग 500 शब्दों में देना होगा और प्रत्येक प्रश्न के लिए 20 अंक निर्धारित होंगे।
2) प्रत्येक लघु श्रेणी प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में देना होगा और प्रत्येक प्रश्न के लिए 10 अंक निर्धारित होंगे।
निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखने से आपके लिए उत्तर देना आसान होगा:
क) नियोजन : सत्रीय कार्यो को ध्यान से पढ़िए। उन इकाइयों को ध्यान से पढ़िए जिनसे ये सवाल पूछे गए हैं। प्रत्येक सवाल का जवाब देने के लिए कछ प्रमुख बिन्दुओं को अलग से लिख लें और इन्हें ताकिक ढंग से फिर से व्यवस्थित कर लें |
ख) चयन : अपने जवाब की रूपरेखा बनाते समय जरूरी बातों का ही उल्लेख करें। उत्तर को विश्लेषणात्मक बनाएँ। निबंधात्मक प्रश्न में प्रस्तावना और निष्कर्ष अवश्य शामिल करें। प्रस्तावना के अन्तर्गत उत्तर के प्रमुख पक्षों को प्रस्तुत करें और यह बताएँ कि आप इस सवाल का जवाब किस तरह से देने जा रहे हैं। अपने उत्तर के उपसंहार में मुख्य बिन्दुओं का सार भी दें। उत्तर देते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि:
७ आपका उत्तर तक॑संगत और सुसंगत हो,
० वाक्यों और अनुच्छेद के बीच स्पष्ट संबंध हो,
७ आपकी शैली, अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के साथ-साथ आपके उत्तर भी सही हों,
७ यह चेष्टा करें कि आपके उत्तर शब्द सीमा से अधिक न हों।
ग) प्रस्तुति : जब आप संतुष्ट हो जाएँ तो सत्रीय कार्य जमा करने से पहले इसे साफ-साफ लिख लें। जिन बिंदुओं पर आप बल देना चाहते हैं उन्हें रेखांकित भी कर सकते हैं।
घ) व्याख्या : इतिहास लेखन में व्याख्या एक निंरतर प्रक्रिया है। यह आपकी योजना और चयन में पहले ही अभिव्यक्त हो चुका है। “हो सकता है“, “संभव है” “हो सकता था“, आदि जैसी व्याख्यात्मक टिप्पणियाँ खुद ब खुद लेखन में व्याख्या के तथ्य शामिल कर लेती हैं। यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि इस प्रकार की टिप्पणियों के साथ-साथ आपके उत्तर में इसे पुष्ट करने वाले तथ्य भी शामिल होने चाहिए |
एम.ए. (इतिहास) द्वितीय वर्ष सत्रीय कार्य 2022-2023
एम.ए. इतिहास द्वितीय वर्ष के पाठयक्रमों के लिए जुलाई 2022 और जनवरी 2023 सत्रों के लिए
- एम.एच.आई.-03 : इतिहास-लेखन
- एम.एच.आई.-06 : भारत में विभिन्न युगों के दौरान सामाजिक संरचना का विकास
- एम.एच.आई.-08 : भारत में पारिस्थितिकी और पर्यावरण का इतिहास
- एम.एच.आई.-09 : भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
- एम.एच.आई.-10 : भारत में नगरीकरण
- एम.पी.एस.ई.-003 : पश्चिम राजनैतिक चिंतन (प्लेटो से मार्क्स तक)
- एम.पी.एस.ई.-004 : आधुनिक भारत में सामाजिक एवं राजनैतिक चिंतन