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MJY-002 सिद्धान्त ज्योतिष एवं काल
(सत्रीय कार्य)
पाठ्यक्रम कोड :MJY-002
सत्रीय कार्य कोड :MJY-002/2022-23
कुल अंक : 100
नोट : यह सत्रीय कार्य 02 खण्डों में विभकत हैं। सभी खण्ड अनिवार्य हैं। 15 अंक के प्रश्नों का विस्तृत उत्तर दीजिए। 10 अंक के प्रश्नों का लगभग आठ सौ शब्दों में उत्तर देना है।
खण्ड-1
निर्देश- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए :
1. ज्योतिष शास्त्र के तीनों स्कन्धों में सिद्धान्त स्कन्ध का क्या स्थान है? विस्तार से लिखिए।
2. विविध रूपों में गोल ज्ञान का वर्णन कीजिए।
3. सिद्धान्त स्कच्ध में ग्रहगति के सिद्धान्त का विस्तृत वर्णन कीजिए।
4. अहर्गण के स्वरूप एवं साधन की विवेचना कीजिए।
5. मन्दफल एवं शीघ्रफल के सिद्धान्त का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
6. अमूर्तकाल की अवधारणा का विस्तार से वर्णन कीजिए।
7. अहोरात्र व्यवस्था का विस्तार से वर्णन कीजिए।
खण्ड-2
निर्देश: अधोलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. मध्यमग्रह साधन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
2. कान्ति और अक्षांश के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
3. मूर्तकाल की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
4. नवविध काल मान के तात्पर्य का वर्णन कीजिए।
5. ज्योतिष शास्त्र में अहोरात्र व्यवस्था क्या है? वर्णन कीजिए।
6. अधिमास क्या है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अधिमास के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
7. भूव्यास एवं भूपरिधि की विवेचना कीजिए।
MJY2, MJY 2 HINDI MEDIUM
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