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BHDE-144 Solved Assignment 2023 for January 2023 and July 2023 Session
B.H.D.E-144
छायावाद
नोट : सभी प्रन्णों के उत्तर दीजिए।
खंड – क
निम्नलिखित प्रद्मांशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिये :
- 1. इस ग्रहकक्षा की हलचल-री, तरल गरल की लघु-लहरी
जरा अमर-जीवन की, और न कुछ सुनने वाली, बहरी
अरी व्याधि की सूत्र-धारिणी! अरी आधि, मधुमय अभिशाप!
हृदय-गगन में धूमकेतु-सी, पुण्य-सृष्टि में सुंदर पाप।
- चपलायें उस जलधि विश्व में स्वयं चमत्कृत होती थीं
ज्यों विराट बाड़व ज्वालायें खंड-खंड हो रोती थीं |
जलनिधि के तल वासी जलचर विकल निकलते उतराते
हुआ विलोड़ित गृह, तब प्राणी कौन! कहाँ! कब! सुख पाते?
- मानस सागर के तट पर
क्यों लोल लहर की घातें
कल कल ध्वनि से हैं कहती
कुछ विस्मृत बीती बातें
आती है शून्य क्षितिज से
क्यों लौट प्रतिध्वनि मेरी
टकराती बिलखाती सी
पगली सी देती फेरी।
- हँसता है तो केवल तारा एक
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले बालों से
हृदय-राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक |
अलसता की-सी लता
किन्तु कोमलता की वह कली
सखी नीरवता के कन्धे पर डाले बॉह
छाँह सी अम्बर-पथ से चली।
खंड -ख
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 800 शब्दों में दीजिए :
- छायावाद के उद्भव पर प्रकाश डालते हुए छायावाद का महत्व भी समझाइए |
- जयशंकर प्रसाद के शिल्प-विधान पर प्रकाश डालिए |
- निराला काव्य की अन्तर्वस्तु की विशेषताएँ बताइए |
- महादेवी वर्मा की कविता मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ के मूल स्वर को रेखांकित कीजिए |
खंड -ग
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए :
- छायावादी कवियों के काव्य शिल्प पर प्रकाश डालिए |
- सुमित्रानंदन पंत के काव्य में अभिव्यक्त जीवन दर्शन को रेखांकित कीजिए |
- ‘मोह’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए |
- महादेवी वर्मा के काव्य की मूल विशेषताओं की चर्चा कीजिए |
BHDE144, BHDE 144