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BHDC-133 Solved Assignment 23-24 for July 2023 and January 2024 Session
B.H.D.C-133
आधुनिक हिंदी कविता
सन्रीय कार्य
(संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित)
पाठ्यक्रम कोड : बी.एच.डी.सी.-133/बीएजी
सत्रीय कार्य कोड : बी.एच.डी.सी.-133 / 2023-2024
कुल अंक : 100
नोट : सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड- क
निम्नलिखित पद्यांशों की ससंदर्भ व्याक्या कीजिये :
- प्रेम में मीन मेष कछा नाहिं।
अति ही सरल पंथ यह सूधो छल नहिं जाके माही।
हिंसा द्वैष इरखा मत्सर मद स्वार्थ की बातै।
कबहूँ याके निकट न आवै छल प्रपंच की धातै।
सहज सुभाविक रहनि प्रेम की प्रीतम सुख सुखकारी।
अपुनो कोटि कोटि सुख पिय के तिनकहि पर बलिहारी।
जहँ ने ज्ञान अभिमान नेम ब्रत विशय- वासना आवै।
रीझ खीज दोऊ पीतम की मन आनंद बढ़ावै।
परमारथ स्वास्थ दोऊ पीतम और जगत नहिं जाने।
हरिश्चंद यह प्रेम – रीति कोउ विरले ही पहिचाने।
- स्वयं सुसज्जित करके क्षण में,
प्रियतम को, प्राणों के पण में,
हमीं भेज देती हैं रण में–
क्षात्र धर्म के नाते।
सखि, वे मुझसे कह कर जाते।
हुआ न यह भी भाग्य अभागा
किस पर विफल गर्व अब जागा?
जिसने अपनाया था, त्यागा,
रहे स्मरण ही आते ।
सखि, वे मुझसे कह कर जाते ।
- संध्या सुन्दरी
दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह सन्ध्या-सुन्दरी परी -सी
धीरे धीरे धीरे
तिमिराजूचल में चजूचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर,
किन्तु गम्भीर -नहीं है उनमें हास – विलास ।
हँसता है तो केवल तारा एक
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले बालों से,
हंदय-राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक ।
- मैं क्षितिज भूकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज- कण पर जल-कण हो बरसी
नवजीवन – अंकुर बन निकली !
पथ को न मलिन करता आना,
पद-चिह्न न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में
सुख की सिहरन हो अंत खिली
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली |!
खंड -ख
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए :
- भारतेंदु युगीन काव्य की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- हरिऔध के साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों को रेखांकित कीजिए।
- रामनरेश त्रिपवाठी के रचना संसार पर प्रकाश डालिए।
- महादेवी वर्मा की कविता के अंतर्वस्तु की चर्चा कीजिए।
खंड -ग
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए :
- भारतेंदु के छंद विधान पर प्रकाश डालिए।
- जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय चेतना को स्पष्ट कीजिए।
- संध्या सुंदरी’ कविता का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
- मौन निमंत्रण” कविता का विश्लेषण करते हुए उसके मंतव्य को स्पष्ट कीजिए।
BHDC133, BHDC 133
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