Description
Follow us on Google News - IGNOU SERVICE
BHDC-105 Solved Assignment 2023 for January 2023 and July 2023 Session
B.H.D.C-105
छायावादोत्तर हिंदी कविता
खंड – क
निम्नलिखित पद्यांशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिये :
- माँझी! न बजाओ बंशी मेरा मन डोलता
मेरा मन डोलता है जैसे जल डोलता
जल का जहाज जैसे पल-पल डोलता
मॉँझी! न बजाओ बंशी मेरा प्रन टूटता
मेरा प्रन टूटता है जैसे तृन टूटता
तृन का निवास जैसे बन-बन टूटता
मॉँझी! न बजाओ बंशी मेरा तन झूमता
मेरा तन झूमता है तेरा तन झूमता
मेरा तन तेरा तन एक बन झूमता।
- घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल!
याद आता तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल!
कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज ?
कौन है वह जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज?
चाहिए किसको नहीं सहयोग?
- क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही
अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।
- कितु हम हैं द्वीप
हम धारा नहीं हैं
स्थिर समर्पण है हमारा। हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के
किंतु हम बहते नहीं हैं। क्योंकि बहना रेत होना है
हम बहेंगे तो रहेंगे ही नहीं
पैर उखड़ेंगे। प्लवन होगा। ढहेंगे। सहेंगे |बह जाएँगे
और फिर हम चूर्ण होकर भी कभी धारा बन सकते?
रेत बनकर हम सलिल को तनिक गंदला ही करेंगे
अनुपयोगी ही बनाएँगे।
खंड -ख
- प्रगतिवादी काव्य के अभिव्यंजना शिल्प पर प्रकाश डालिए |
- समकालीन कविता की शिल्पगत प्रवृत्तियों पर विचार कीजिए |
- केदारनाथ अग्रवाल के काव्य की अंतर्वस्तु की विवेचना कीजिए |
- रामधारी सिंह दिनकर के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों को रेखांकित कीजिए |
खंड -ग
- माखनलाल चतुर्वेदी के रचना शिल्प पर प्रकाश डालिए |
- अज्ञेय के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए |
- भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना को रेखांकित कीजिए |
- रघुवीर सहाय की स्त्री दृष्टि पर अपने विचार व्यक्त कीजिए |
BHDC105, BHDC 105