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MHD-12 Solved Assignment 2023-24 for July 2023 and January 2024 Session
M.H.D-12 भारतीय कहानी
सत्रीय कार्य
(सभी खंडों पर आधारित)
पाठ्यक्रम कोड : एम.एच.डी.-12
सत्रीय कार्य कोड : एम.एच.डी.-12/ टी.एम.ए./ 2023-2024
कुल अंक : 100
सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- निम्नलिखित में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) प्रेस में विनायक को छोड़कर और कोई नहीं था। उस दिन के लिए तयशुदा कार्य में दो काम बाकी थे – पहला, दो निमन्त्रण-पत्र कम्पोज करके उसका प्रूफ निकालना और दूसरा, प्रूफ – शोधन किये अभिनन्दन पत्र में “करेक्शन’ लगाकर छापना।
“छापने के लिए कागज भी तो काटना होगा।’ बुदबुदाते हुए जब वह ट्रेडिल में कसे हुए ‘चेस’ को खोल रहा था, उसके मन में एक छोटी-सी’ आशा अंकुरित हुई- बहुत सी साधारण इच्छा, आप चाहें तो बचपना भी कह सकते हैं।
चेस को खोलकर ‘स्टोन’ पर रखा। वह भी एक विवाह निमन्त्रण कार्ड को ही मैटर था। विनायक ने मैटर में वर के नामवाले अक्षरों को ब्रश से पोंछा। स्याही हट जाने पर चाँदी की तरह उजले अक्षर चमक उठे।
“चिरंजीव श्रीधर’- इन अक्षरों के टाइप-दायीं से बायीं ओर जैसा कि आइने में प्रतिबिम्बित होता है – साफ दिखाई दिये ।
(ख) ठहरो। ठहरो।” कहते हुए हाथ उठाकर उसने दोनों पक्षों को शांत किया। फिर उसने दोनों पक्षों से पूछा, “क्या बात है मैया, क्या मामला है?” उसका स्वर, उसकी अवस्था और पहनावा वृद्धा देखते ही वृद्धा की हिम्मत बँधी। आवाज कुछ धीमी करके यथासंभव सद्भाव के साथ वह बात बताने लगी, “तुम्हीं बताओ बेटी! यह लोग पानी के लिए आई हैं। यह कोई सरकारी नल तो नहीं है न? पैसा खर्च करके लगाया हुआ है। हर साल म्यूनिसपैलिटी को हम टैक्स भी देते हैं। ऐसे में पहले हमारे बच्चों ने आकर मना किया। इन लोगों ने बात सुनी नहीं। फिर मैंने आकर मना किया। फिर हमारा माली आया, तो वह लड़की कहती है- अगर तू मर्द है, तो कुत्ता छोड़!” देखो तो उँगली – भर नहीं है लड़की!” कहकर उँगली से सत्यवती की ओर वृद्धा ने इशारा किया।
(ग) उसके दूसरे दिन फिर डुबती साँझ की बेला में बाघ की दहाड़ सुनाई पडी। वह उच्छन्न होकर गरजता घूम रहा है, सचमुच जैसे गरगराती आवाज में संदेश दे रहा है, “यहां मेरे पुरखों के जमाने से बाघ का सिंहासन था, वन का राजा है बाघ, और अगर बाघ नहीं है तो बाघिन, बाघ के वंश का जो कोई भी, बात एक ही है। बीच में पता नहीं कैसे कुछ दिन खाली रह गए थे। लेकिन मैं फिर लौटा हूं, इस वंश का अटूट क्रम फिर शुरू हो गया।” फिर सारी रात पहर-पहर चिल्लाते रहे सियार, सचमुच जैसे कि वे बाघ युवराज या बाघ युवरानी के भाट थे। लेडेंग के कुछ लोग इस तरह से भी सोच रहे थे जैसे खुद धूर्व सिंह। पहली रात को गरजते – गरजते बाघ चला गया कहीं दूर और फिर एक साथ अचानक सियारों ने चिल्लाना शुरू कर दिया जैसे जान बचाने के लिए ही वे इस तरह चीख रहे हों। चिल्लाना बंद हुआ कि जान गई।
- ‘ट्रेडिल’ कहानी के कथानक का विश्लेषण कीजिए।
- अपने लिए शोकगीत’* कहानी के प्रतिपाद्य पर विचार कीजिए।
- ‘बघेई” कहानी का कथानक बताते हुए उसके महत्व की चर्चा कीजिए।
- कोंकणी कहानी संसार का सामान्य परिचय देते हुए रे चुरुंगन मेरे… कहानी का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- दीनानाथ नादिम का परिचय देते हुए उनकी कहानी ‘जवाबी कार्ड’ का विश्लेषण कीजिए।
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